अगर आप तनाव में हैं तो जानिए तनाव में भोजन क्यों नहीं करना चाहिए
अगर आप तनाव में हैं तो जानिए तनाव में भोजन क्यों नहीं करना चाहिए, 'डाइजेस्टिव टॉक्सिन' खानपान से जुडी एक आम समस्या है। इसके चलते शरीर में हानिकारक पदार्थों की मात्रा बढ़ने लगती है। ऐसा आमतौर पर जंक फ़ूड का अधिक सेवन करने से होता है। लेकिन अगर स्वस्थ और संतुलित आहार लेने के बाद भी शरीर में डाइजेस्टिव टॉक्सिन्स की मात्रा बढ़ रही हैं तो इसकी कुछ अन्य वजहें भी हो सकती हैं। डॉक्टरों के अनुसार, अगर आपको समय से भूख नहीं लगती है तो आपका पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है।
जब भी आप बिना भूख के भोजन करते हैं तो आपका पाचन तंत्र इसे ठीक से पचा नहीं पाता और यही भोजन ठीक से न पचने के कारण टॉक्सिन्स में बदल सकता है चाहे वह कितना भी पौष्टिक क्यों न हों। पौष्टिकता के साथ-साथ यह जरूरी है कि भोजन ठीक ढंग से पका हुआ हो। अधपके भोजन के साथ ही ठंडे खाद्य पदार्थ भी सेहत के लिए ठीक नहीं होते हैं। इन्हें पचाना, पाचनतंत्र के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। बाद में यह शरीर में हानिकारक पदार्थों के इकट्ठे होने का कारण बन जाता है। भोजन को पचाने के लिए आवश्यक है कि पाचन सुचारु रूप से हो।
भोजन के समय पानी पीने से यह प्रक्रिया बाधित होती है इसलिए भोजन के बीच में पानी (खासतौर पर ठंडा पानी) पीने से बचना चाहिए। जब हम तनावग्रस्त होते हैं तब हमारा खानपान भी प्रभावित हो जाता है। तनाव की स्थिति में किया गया भोजन ठीक से पचता नहीं और डाइजेस्टिव टॉक्सिन्स की बढ़ोत्तरी का कारण बन जाता है। खराब और अनियमित जीवनशैली भी डाइजेस्टिव टॉक्सिन्स बढ़ने की एक बड़ी वजह है। एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठे रहना, भोजन करने का समय निर्धारित न होना, भोजन करने के तुरंत बाद सोना आदि कुछ ऐसे कारण हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हैं लेकिन इनकी तरफ हमारा ध्यान नहीं जाता।